निरन्तर जारी हैं प्रयास
-सुरेश जांगिड़ उदय
हरियाणवी साहित्य को अगर समृद्धता की ओर कुछ ले गया है तो वह है इसकी सांग परम्परा है। भले ही आज इन्टरनेट का युग है परन्तु आज भी ग्रामीण इलाकों में बड़े चाव से सांगों का प्रदर्शन होता है। जितना योगदान इन सांग और सांगियों का हरियाणवी साहित्य में है उतना योगदान अन्य किसी विधा का नहीं है। लेकिन सांग परम्परा की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही है कि उसका कोई लिखित रिकार्ड न होने के कारण शुद्धता या अशुद्धता का विकट सवाल खड़ा हो जाता है। यह निर्णय करना बड़ा कठिन हो जाता है कि इस रागनी में कितनी और किसकी मिलावट है? यह संवेदनशील कलाकार की बड़ी सहज सी बात होती है कि जब भी कोई कलाकार केवल अपनी यादाश्त के सहारे कोई रचना सुनाता है तो उस रचना पर जहां वह उसे सुना रहा होता है उस माहौल और परिस्थिति का पूरा-पूरा असर होता है। यही असर रचना में कई बार हेर-फेर करा देता है या माहौल से प्रेरित होकर सहज ही उसमें परिवर्तन हो जाता है, क्योंकि कलाकार हमेशा से ही अति संवेदनशील होते हैं, अथवा दूसरा जब भी किसी कलाकार की कोई भी रचना उसका कोई शिष्य या प्रेमी उसे याद कर लेता है तो उस रचना में वह स्वभावतः परिर्वतन न करे लेकिन उसका मस्तिष्क उस रचना में अवश्य ही हेर-फेर कर देगा। यही मानव स्वभाव है और यही मनोवैज्ञानिक सत्य भी। हरियाणा के कुछ लोक गायकों ने सांगों को अपना स्वर देकर प्रसिद्ध दी और इसे सम्बल दिया वही बहुत से गायकों ने उससे अधिक इस विधा का नुकसान भी पहुंचाया, क्योंकि ये गायक अपनी मर्जी से रागनियों में तोड़-फोड़ ही नहीं बल्कि किसी की रचना किसी की छाप लगाकर गा देते हैं। कुछ अन्तराल बाद यह कहना भी मुश्किल हो जाता है कि कौन सी रचना कौन से कवि की है?
अभी तक हरियाणवी लोक कवियों की रचनाओं का अधिकतर प्रकाशन दिल्ली के फुटपाथी प्रकाशकों द्वारा घटिया कागज, घटिया छपाई और अशुद्धियों की भरमार के साथ प्रकाशित होता रहा है और पिछले 20-25 सालों से अब वह भी बन्द हो चुका है। ऐसे में बताइये कहां बच पाएगा हमारा हरियाणवी साहित्य? इस तरह के प्रकाशनों का साहित्यिक क्षेत्रा में महत्त्व नगण्य होता है। क्योंकि इस तरह के प्रकाशनों को साहित्यिक महत्त्व का नहीं माना जाता। लोक कवियों के बारे में, उनकी रचनाओं के जन मानस तक पहुंचाने के ठोस एवं रचनात्मक प्रयास न होने का एक बड़ा कारण हरियाणवी का सीमित क्षेत्रा है और दूसरा हरियाणा सरकार की ढुल-मुल नीतियों का होना है। इसीलिए हरियाणवी संस्कृति और धरोहर नष्ट होती जा रही है। यही कारण है कि आज अधिकतर लोक कवियों के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है। अगर बची है तो उस कवि के कुछ शिष्यों और कुछ बुद्धिजीवियों को है अथवा प्रशंसकों के पास थोड़ी-बहुत सामग्री स्वयं लिखी या सुनी-सुनाई सामग्री एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती आ रही है।
लोक साहित्य व लोक कवियों की अधिकतर रचनाओं का अब हम अच्छे स्तर के रूप में प्रकाशित करने के प्रयास हम कर रहे हैं। अगर लोक कवियों की रचनाओं को बचाया जा सकता है तो इसके लिए हमारी सरकार को ही नहीं हम सबको अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। जिन पाठकों के पास किसी भी लोक कवि की, किसी भी तरह की दुर्लभ सामग्री हो वह ‘अक्षरधाम समिति’ को उपलब्ध करवाएं। समिति उसे प्रकाशित कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास करेगी। हम मुख्य रूप से किशन लाल भाट, बन्शी लाल, अम्बाराम, अलीबक्श, बालक राम, कृष्ण गोस्वामी, गोवर्धन सारस्वत, पं. शंकरलाल, पं. नेतराम, रामलाल खटीक, पं. दीपचन्द, सरूपचन्द, हरदेवा, मानसिंह जोगी, जमुवां अमीर, चन्द्रलाल बादी, पंडित जगदीशचन्द्र ‘वत्स’ ऐंचरा, साधुराम पबनावा, पं. माईचन्द, पं. चन्दनलाल, मेहरसिंह, पं. जगन्नाथ समचाणा, कंवल हरियाणवी, हरिकेश पटवारी, कृष्णचन्द्र नादान, गुणपाल कासंडा, भारतभूषण सांघीवाल, मदनगोपाल शास्त्रा, डॉ. रामफल चहल, जगबीर राठी, महासिंह पूनिया, डॉ. विश्वबन्धु शर्मा, ओमप्रकाश कादयान, रामकिशन नैन, रघुनाथ प्रियदर्शी, आचार्य शीलक राम, डॉ. चतरभुज बंसल सोथा, रामफल गौड धनौरी आदि आधुनिक एवं पुराने कवियों की रचनाओं का प्रकाशन करेंगे। यह सूची कोई अन्तिम सूची नहीं है इसमें समय-समय पर और कवियों तथा लोक कलाकारों को भी हम अपने इस प्रयास में शामिल करते रहेंगे।
हरियाणवी की समृद्धि के लिए हम निरन्तर प्रयास कर रहे हैं। हमारे सभी प्रयास निष्पक्ष और जातिगत द्वेषों से परे होकर होते हैं। हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य हरियाणवी भाषा में श्रीवृद्धि कर रहे रचनाकारों को प्रकाश में लाना है जिसकी पूर्ति के लिए हम दिन-रात एक कर रहें हैं। हम हरियाणवी भाषा की समृद्धि के लिए अन्य छोटे-बड़े प्रयासों को निरन्तर जारी रखें हैं। हम लोक कवियों की रचनाओं के अतिरिक्त हरियाणवी भाषा में उपन्यास, कहानियां, लोक-कथाएं, कविताएं, लोक गीतों, हास्य कथाएं, हरियाणवी मुहावरे, लाकोक्तियां, इतिहास तथा कोशों आदि का प्रकाशन भी करेंगे। हमारे कुछ प्रकाशनों को राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि कुछों को तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। क्योंकि अब पुस्तकों की छपाई का स्तर अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तकों की छपाई के स्तर के अनुरूप ही किया गया है। जो कि हरियाणवी के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
इस कड़ी में हम अब तक निम्न पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं-
हरियाणवी ग्रंथावली
µपं. लखमीचन्द हरियाणवी ग्रंथावली (864 पृष्ठ)(तृतीय संस्करण) -सुरेश जांगिड़ उदय
µबाजे भगत हरियाणवी ग्रंथावली -डॉ. रामफल चहल, अशोक कुमार, जगबीर राठी
µपं. जगदीशचन्द्र ऐंचला-ज्ञान-सागर (1008 पृष्ठ)-सं-सुरेश जांगिड़ उदय, बनारसी दास
µपं. मांगेराम हरियाणवी ग्रंथावली (तृतीय संस्करण) -रघुबीर सिंह मथाना
µपं. मांगेराम कृत सांग-माला सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. मांगेराम कृत सांग-रत्नावली-सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µमुंशीराम जांडली ग्रन्थावली--डॉ. राजेन्द्र बड़गूजर
µफौजी मेहरसिंह हरियाणवी ग्रंथावली (द्वि. संस्करण) -डॉ. रामफल चहल, रघुबीर मथाना
µधनपत सिंह निदाणा कृत अमृतकलश-शीलक राम जांगड़ा, सुरेश जांगिड़
µमहाशय दयाचन्द मायना हरि. ग्रन्थावली--डॉ. राजेन्द्र बड़गूजर
µपं. जगननाथ समचाणा हरियाणवी ग्रंथावली-रामफल चहल
µपं. कृष्णचन्द्र ‘नादान’ हरि. ग्रंथावली-रामफल चहल
µभारतभूषण सांघीवाल हरि. ग्रंथावली-सं. : डॉ. रामपत यादव
µभारतभूषण सांघीवाल : हरियाणवी साहित्य रत्नावली सं-सुरेश जांगिड़
µसोरण राम नैणा : हरि. रचनावली -डॉ. राजेन्द्र बड़गूजर
µगुणपाल कासंडा : हरि. ग्रंथावली -डॉ. राजेन्द्र बड़गूजर
µमहाशय केदारमल हरि. ग्रंथावली-आलोक भाण्डोरिया
µकृष्ण चन्द्र रोहणा हरियाणवी ग्रंथावली-राजेन्द्र बड़गूजर
µचतरु सांगी हरियाणवी ग्रंथावली-रामफल चहल, रमेश चन्द्र
हरियाणवी सांग व रागनियाँ
µपं. रामकिशन व्यास : के सांग (द्वितीय संस्करण) -रामफल चहल
µपं. मांगेराम जीवनी एवं सांग-सं. सुरेश जांगिड़ (तृतीय संस्करण)
µपं. मांगेराम कृत सांग कृष्ण सुदामा सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद कृत ब्रह्मज्ञान (तृतीय संस्करण) सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचन्द कृत ज्ञान-माला-सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचन्द के भक्ति रस के सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचन्द के प्रेम रस के सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के शृंगार रस के सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के धर्म नीति के सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के नीति परक सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के धर्म चेतना के सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के धार्मिक सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद के रोचक सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µपं. लखमीचंद कृत सांग-नौटंकी सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µसांग-माला -डॉ. चतरभुज बंसल सोथा सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µज्ञान-माला -डॉ. चतरभुज बंसल सोथा सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µसांग-सुधा -डॉ. चतरभुज बंसल सोथा सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µहरियाणवी रामायण (द्वितीय संस्करण) -मदन गोपाल शास्त्रा
µफौजी मेहर सिंह की रागनियां-रामफल चहल
µगुदड़ी के लाल (हरियाणवी वृत चित्रा)-मदन गोपाल शास्त्रा
µरामफल गौड़ धनौरी कृत तारा रानी की कथा सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µरामफल गौड़ धनौरी कृत सांग-वाटिका
µरामफल गौड़ धनौरी कृत शृंगार रस सांग सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µहरियाणवी सांग व भजनावली-दयानंद मलिक सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µमा. दयानन्द मलिक की प्रेरक रागनियां सं-सुरेश जांगिड़ उदय
µकाना-बाती (रागनी-संग्रह)-भगवान सिंह अहलावत
µआंख्यां-देक्खी काना सुणी (रागनी-संग्रह)-भगवान सिंह अहलावत
µमाटी म्हं मिल जाणा सै (रागनी-संग्रह)-भगवान सिंह अहलावत
µसामाजिक दर्पण (रागनी-संग्रह)-भगवान सिंह अहलावत
µहरियाणवी गीता ज्ञान-सरोज दहिया
µहरियाणवी श्रीराम कथा-सरोज दहिया
µसांग सौरभ-रामफल गौड
µन्यूं का न्यूं गीता उद्घोष-दर्शन शर्मा ‘जिज्ञासु’
µहेमचंद्र विक्रमादित्या-विजय यादव
µगुरु रविधारा-कवि कर्म सिंह
µकिस्मत के खेल निराले-लहणा सिंह अत्रा
उपन्यास/कहानी/नाटक
µयुद्धवीर (हरियाणवी उपन्यास)-जगबीर राठी (तृतीय संस्करण)
µम्हारी कहानियाँ-कमलेश चौधरी
µदस का नोट-डॉ. सुशील ‘हसरत’ नरेलवी
µसमझणिये की मर (हरियाणवी उपन्यास)-श्याम सखा श्याम
µफास्ट फूड (हरियाणवी लघुकथाएं)-यशदीप मलिक
µहरियाणवी लोकथाएं (चतुर्थ संस्करण) -सुरेश जांगिड़ उदय
µसैल्यूट (हरियाणवी उपन्यास)-डॉ. उर्मिला कौशिक ‘सखी’
µहरियाणा की प्रतिनिधि लघुकथा -सं. रूप देवगुण
µहरियाणा महिला लघुकथा लेखन परिदृश्य-सं. रूप देवगुण
हास्य-व्यंग्य
µकसूते हरियाणवी चुटकले (द्वितीय संस्करण)-वी. एस. बेचैन
µलट्ठ गाड हरियाणवी चुटकले-सुरेश जांगिड़ (द्वितीय संस्करण) µहांसी-मखौल (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-रामफल चहल (द्वितीय संस्करण)
µधूल़ म्हं लट्ठ (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-योगेन्द्र मोदगिल
µहांसी के गुलगुल्ले-प्रो. कपूर सिंह राठी
µबिदाई का गीत (हरियाणवी व्यंग्य कविताएं)-जगबीर राठी
µइब रफ्तार बदलग्यी (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-आलोक भाण्डोरिया
µक्यूकर हांसी आवै (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-चतरभुज बंसल सं-सुरेश जांगिड़
µफंसो और हंसों (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-वी. एम. बेचैन
µचाख कदे चटकारे ले कै (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-अहमना मनोहर
µआथूणा की हवा चालग्यी (हरियाणवी हास्य-व्यंग्य)-दलबीर फूल
µतीर निशानै के (हरियाणवी कविता संग्रह)-डॉ. जोगेन्द्र सिंह मोर
µबुढ़ापा बैरी घणा (हरियाणवी कविता संग्रह)-हलचल हरियाणवी
कविता/ग़ज़ल/दोहे
µलोकदर्पण-कंवल हरियाणवी
µरड़कते सुपने (हरियाणवी ग़ज़ल)-कंवल हरियाणवी
µसच्चाई कडुवी घणी (हरियाणवी दोहे)-रामकुमार आत्रोय
µअनकहे दर्द (हरि. काव्य)-डॉ. सन्तराम देशवाल ‘सौम्य’
µउड़ान पंछी की (हरि. ग़ज़ल)-रिसाल जांगड़ा
µभगवान का गीत (हरियाणवी गीता)-शीलक राम जांगड़ा
µश्रीमद्भागवत गीता (हरि. पद्यानुवाद)-पं. महेन्द्रपाल सारस्वत
µनर तै आगै नारी-लाज कौशल
µलोक दर्पण दर्शन-महेन्द्र सिंह बिलोटिया
µदीवानों का मसीहा-डॉ. विश्वबन्धु शर्मा
µहरिहर की धरती हरियाणा (हरियाणवी कविता-संग्रह)-रघुनाथ प्रियदर्शी
µबदल्या रंग जमाने का (हरियाणवी कविता-संग्रह)-महाशय केदारमल
µऔरत वेद पांचमां (हरियाणवी दोहा संग्रह)-श्याम सखा श्याम
µमाटी के दीवै (हरियाणवी ग़ज़ल-संग्रह)-रिसाल जांगड़ा
µपनघट-(हरियाणवी दोहा संग्रह)-हरिकृष्ण द्विवेदी
µखाट्टी-मीठ्ठी खरी-खरी (हरियाणवी कविता संग्रह)-रघुनाथ प्रियदर्शी
µपटराणी (हरियाणवी खण्ड काव्य)-सरोज दहिया
µतोड़ भरम का (हरियाणवी काव्य)-सूबे सिंह मोर्य
लोकगीत/गीत
µहरियाणा के लोक नृत्य-गीत -सुधीर शर्मा
µहरियाणा के संस्कार लोकगीत-डॉ. सुमन कादियान
µअनमोल मोती हरियाणवी लोकगीत-डॉ. विजय बाला
µहरियाणवी लोकगीत-कृष्णा मान
µहरियाणा के लोकगीत-संजीव कुमारी
µचूदड़ी रंगबिरंगी (हरियाणवी गीत)-मदन गोपाल शास्त्रा
आलोचना/निबंन्ध
µहरियाणवी संस्कृति की जीवंत परम्पराएं-डॉ. रामफल चहल µहरियाणा की संस्कृति धरोहर-(सम्पूर्ण रंगीन)
-डॉ. महासिंह पूनिया
µहरियाणवी मुहावरा कोश-डॉ. महासिंह पूनिया
µहरियाणवी ग्राम्य जीवन और रीति रिवाज-मदनगोपाल शास्त्राे
µहरियाणा की संस्कृतिक विरासत-डॉ. सुमन, ओमप्रकाश कादियान
µहरियाणवी भासा का ब्याकरण-डॉ. विश्वबन्धु
µहरियाणा : कल और आज-डॉ. शमशेर सिंहनरवाल
µबाजे भगत के स्वांगों का अध्ययन-डॉ. अशोक कुमार
µहरियाणवी लोकनाट्य (सांग) में हास्य-व्यंग्य-डॉ. बलजीत ढुल
µहरियाणवी लोकगीतों में हास्य-व्यंग्य-डॉ. बलजीत सिंह ढुल
µहरियाणा कहावतों के झरोखे से-रघुबीर सिंह मथाना
µहरियाणा के संत गरीबदास-डॉ.राजबीर, राजपाल कादयान
µबहुमुखी प्रतिभा के धनी देवी शंकर प्रभाकर-डॉ. सुमन कादियान
µसंस्कारों के संवाहक लोकगीत-डॉ. कृष्णा कुमारी आर्य
µस्वामी नितानंद जीवन एवं दर्शन-डॉ. धनखड़, राजपाल
µसंतकवि पं. साधुराम-रामफल लौहान
µसंस्कृति के प्रहरी-अनूप लाठर-देवराज सिरोहीवाल
µदो नम्बर वाली लक्ष्मी-शमीम शर्मा
µथैक्यू अल्ट्रासाऊंड-शमीम शर्मा
µहरियाणा से खास मुलाकातें-ओमकार चौधरी
इस कड़ी में हरियाणा के सुप्रसिद्ध कवि मुन्शीराम जांडली की समस्त रचनाओं एक ही पुस्तक में प्रकाशित कर लम्बे समय से चली आ रही सुधि पाठकों की मांग को पूरा करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है। आशा है पाठक पूर्व पुस्तकों की भान्ति इस पुस्तक का भी स्वागत करेगें। आपके विचारों, सुझावों तथा प्रतिक्रियाओं का हार्दिक स्वागत है।
-सुरेश जांगिड़ उदय
अध्यक्ष, अक्षरधाम समिति (रजि.)
वर्मा कॉलोनी, गली नं.-2, चंदाना गेट कैथल-136027 (हरियाणा) मो. 9215897365
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